गंगा! तुम क्यों बढ़ती हो? – Latest Poem In Hindi 2019
हहर-हहर कर,घहर-घहर कर,उछल-उछल कर,न जाने क्या कहती? हम सब ने मिलकर,किया प्रदूषित तुमको।खर-पतवार!नाली-नाला का,जल भी बहाया बढ़-चढ़कर। पालीथीन! मल-मूत्र मिलाया,कूड़ा कचडा को भी बहाया।अमृत जैसा तेरे जल को भी,न पीने योग्य! हमने बनाया।। कारखाने का जहरीला पानी,हे मां! तुझमें खूब घोल मिलाया।इसी लिए हे भागीरथी! हे मैया,तूने यह रौद्र रूप को अपनाया।। तट -बंधो को … Read more